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Karwa चौथ पूजा के 10 महत्वपूर्ण बिंदु
- महत्व: Karwa चौथ का पर्व पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए मनाया जाता है। यह विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
- तारीख: यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आता है।
- उपवास: इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के उदय तक उपवासी रहती हैं। कुछ महिलाएं निर्जला उपवास भी करती हैं।
- पूजा सामग्री: पूजा के लिए थाल में करवा (मिट्टी का बर्तन), मिठाई, फल, और श्रृंगार सामग्री शामिल होती है।
- पूजा विधि: महिलाएं सूर्योदय के समय स्नान कर पूजा करती हैं और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
- चंद्रमा की पूजा: रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद महिलाएं करवा चौथ की पूजा करती हैं, जिसमें करवे को देखकर पति के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।
- कथाएँ और व्रत: इस दिन महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं, जो इस पर्व के महत्व को दर्शाती है।
- ससुराल का महत्व: इस दिन महिलाओं को अपने ससुराल से भी उपहार प्राप्त होते हैं, जो इस पर्व को और खास बनाते हैं।
- स्नेह और प्रेम: करवा चौथ न केवल पति-पत्नी के बीच प्रेम को प्रगाढ़ करता है, बल्कि परिवार के सदस्यों के बीच भी स्नेह बढ़ाता है।
- रिवाज: कई क्षेत्रों में इस दिन विशेष व्यंजन तैयार किए जाते हैं, और महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर त्योहार मनाती हैं।
करवा चौथ एक सुंदर और महत्वपूर्ण पर्व है, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है।